Wednesday, October 9, 2019
Tuesday, October 1, 2019
मेरा गांव!
इस बारिश में मेरे गांव का पानी जरूर मिला हुआ है,
जो अभी-अभी बरसा है
वरना क्यों इसके होने पर दिल गांव की लिए तरसा है।
दिल बह गया शहर से गांव के खयालों में,
लेकिन क्यों नहीं बह रही है हवा आजकल शहरों में।
जो ये हवा शहरों में आजकल कम बह रही है,
लगता है यह मेरे गांव में रह रही है ।
क्योंकि
आज कल गांव मैं इंसानों की कम
और हवा की आवाज ज्यादा है,
हवा के मुकाबले इंसान आधा है।
जो अभी-अभी बरसा है
वरना क्यों इसके होने पर दिल गांव की लिए तरसा है।
दिल बह गया शहर से गांव के खयालों में,
लेकिन क्यों नहीं बह रही है हवा आजकल शहरों में।
जो ये हवा शहरों में आजकल कम बह रही है,
लगता है यह मेरे गांव में रह रही है ।
क्योंकि
आज कल गांव मैं इंसानों की कम
और हवा की आवाज ज्यादा है,
हवा के मुकाबले इंसान आधा है।
Subscribe to:
Posts (Atom)